मूल भावना एवं योजनाऐं
1. उद्यमशीलता प्रोत्साहित करना।
2. छोटे और लघु उद्योग के सम्पूर्ण एवं सतत विकास के साथ देश का सतत विकास करना।
3. परिवार के रूप मे उद्योग का संचालन करना जिसमें मालिक कार्यकर्ता ग्राहक और आपूतिकर्ता परिवार के सदस्यों के रूप मे हो।
4. लाभकारी रोजगार को बढ़ावा देना ताकि प्रत्येक व्यक्ति के जीवन का स्तर बेहतर हो सके।
5. प्रतिस्पर्धा की गुणवत्ता के साथ उत्पादकता मे निरन्तर वृद्धि को बनाये रखना।
6. छोटे और लघु उद्योग मे स्वदेशी प्रौद्योगिकी को बढावा देना।
7. छोटे और लघु उद्योग मे अनुसंधान और विकास की गतिविधियों को प्रोत्साहित करना।
8. उपलब्ध प्राकृतिक संसाधनों के उपयोग के लिए छोटे और लघु उद्योग को स्थापित करने के लिए प्रोत्साहित करना।
9. पर्यावरण के अनुकूल तरीके सेछोटे एवं लघु उद्योग संचालित करना।
10. उपक्रमों क्लस्टर गठन के माध्यम से आर्थिक असंतुलन का मुकाबला करने के लिए विनिर्माण गतिविधि को त्वरित करना।
11. अन्तराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा हासिल करना।
12. कुशलता के माध्यम से मानव संसाधनों की क्षमता निर्माण मे वृद्धि करना।
महत्वपूर्ण उपलब्धियां
1 केन्द्र मे 1999 मे प्रथम स्वतंत्र लघु उद्योग मंत्रालय का गठन हुआ। प्रदेशों मे भी लघु उद्योग मंत्रालयों का कई राज्यों मे गठन हुआ शेष के लिए प्रयास जारी।
2. 1 जुलाई 2017 से पूरे देश मे एक साथ जीएसटी लगाया गया (एकीकृत टेक्स) इसमें उत्पाद शुल्क सहित कई अन्य कर समाहित किये गये। जीएसटी लगने से पूर्व डेढ करोड सालाना टर्न औवर तक के लघु उद्योगों पर केन्द्रीय उत्पाद कर नही लगता था। जिससे छोटे उद्योग बडे उद्योगों से स्पर्धा कर लेते थे। जीएसटी मे छोटे बडे उद्योगों का यह अन्तर समाप्त कर दिया है तथा कियान्वयन मे भी बहुत विसंगतियां थी। इस प्रणाली मे आयी हुई कमियों व विसंगतियों को दूर करने हेतु वित्त मंत्रियों की परिषद को ज्ञापन देकर सुधार के अथक प्रयास किये गये परिणामस्वरूप सूक्ष्म व लघु उद्योगों के हित मे बहुत बदलाव होने मे सफलता मिली तथा केन्द्र शासन द्वारा गठित सलाहकार समिति मे संगठन को प्रतिनिधित्व भी प्राप्त हुआ। जिससे और भी सुधार हेतु अनुशंसाये देने का अवसर प्राप्त हुआ।
3. लघु उद्योगों के लिए सिडबी के माध्यम से दो करोड तक के ऋण बिना कोलेटरल सिक्यूरिटी के मिलने की व्यवस्था करायी।
4. श्रम कानूनों मे सुधार के लिये महत्वपूर्ण कार्य किये सुधार हुए भी है। इस राष्ट्र के सबसे बडे मजदूर संघटन भारतीय मजदूर संघ एवं अन्य श्रम संगठनेां के साथ बैठक कर श्रम सुधार नियमों पर एक राय बनाकर ड्राफ्ट (स्माॅल फैक्ट्री एक्ट) तैयार किया है।
5. सरकारी संस्थानों मे 20 प्रतिशत खरीद लघु उद्योगों से ही खरीद करने की बाध्यता हुई
6. हाल ही मे लिमिटेड कम्पलियों मे पारिवारिक सदस्यों से ऋण लेने मे लगाई पाबंदी को हटाने मे मात्र लघु उद्योग भारती ने पुरजोर प्रयास किया एवं पंाबंदी हटवाई।
7. कई राज्यों मे कारखानों मे विद्युत कनेक्शनों लेने पर पर्यावरण विभाग से एनओसी को अनिवार्य कर रखा था इस अनिवार्यता को समाप्त कराया।
8. पर्यावरण की दृष्टि से उद्योगों का श्रेणीकरण संशोधित करवाकर पूर्वापेक्ष पर्याप्त सुधार करवाये तथा एक श्रेणी सफेद की भी स्थापना करवाई।